जब भारत ने पाक को मोहाली में किया था बेहाल

नई दिल्ली मुकाबला जब भारत-पाकिस्तान का हो तो रोमांच की कोई सीमा नहीं होती। और जब यही मुकाबला वर्ल्ड कप सेमीफाइनल हो तो बात ही क्या है। भारत-पाक मैच से पहले खिलाड़ियों पर कितना दबाव होता है इसे के उस बयान से समझा जा सकता है जो उन्होंने 2003 वर्ल्ड कप के बारे में कहा था। सचिन ने कहा था कि वह इस मैच से पहले 12 दिन सोए नहीं थे। हालांकि 2011 में यह अर्सा थोड़ा कम हो गया था। भारत ने हफ्तेभर पहले ही ऑस्ट्रेलिया को क्वॉर्टर फाइनल में हराया था और उसके बाद मोहाली में हुआ था टाइटंस ऑफ ऑल मैच। मुकाबले को लेकर उत्साह चरम पर था। सचिन तेंडुलकर को लेकर को लेकर काफी उम्मीदें वाबस्ता थीं। सचिन के नाम तब थे 99 अंतरराष्ट्रीय शतक। लोगों को आस थी कि यहां सचिन अपना 100वां शतक पूरा करेंगे। सचिन की कोशिशों और लोगों की उम्मीद को पूरा करने में पाकिस्तान ने कोई कसर बाकी नहीं रखी। उन्होंने मास्टर ब्लास्टर के एक नहीं बल्कि चार-चार कैच छोड़े। खैर, सचिन का 100वां सैकड़ा इस मैच में पूरा नहीं हो पाया। वह 85 रन बनाकर आउट हुए। भारतीय टीम ने बनाए 260 रन। यह लक्ष्य कोई मुश्किल नहीं था। और कामरान अकमल व मोहम्मद हफीज ने पाकिस्तानी टीम को अच्छी शुरुआत भी दी। दोनों ने 9 ओवर में 44 रन जोड़े। लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने दबाव बनाए रखा। हालांकि भारतीय गेंदबाजी को कमजोर लिंक समझा जा रहा था कि जरूरत के वक्त उन्होंने दमदार खेल दिखाया। पाकिस्तान के साथ मुश्किल यह थी कि एक ओर वह लगातार विकेट खो रहा था तो दूसरी ओर उसके अनुभवी बल्लेबाज मिसबाह उल हक रनों की रफ्तार बढ़ा नहीं पा रहे थे। पाकिस्तान को हर ओवर में करीब 10 रन चाहिए थे और मिसबाह गेंद को रोकने भर में लगे थे। मैच के बाद पाकिस्तानी कप्तान शाहिद अफरीदी की नन्ही बेटी ने कहा भी, 'जब रन ज्यादा थे और बॉल कम थी तब मिसबाह उल हक को होश आया कि हमें रन बनाने हैं, मैच जीतना है।' जी, मिसबाह को होश देर से आया। तब तक वाकई देर हो गई थी। मिसबाह ने एक्सलरेट करने में बहुत देर कर दी। भारत ने मुकाबला 29 रन से जीता। और कायम रखा वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ अपना जीत का रेकॉर्ड।


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