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चैपल ने बताई लक्ष्मण की पारी की वैरी-स्पेशल बात
मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ने हाई-क्वॉलिटी स्पिन के सामने अपनी दो पसंदीदा पारियां चुनी हैं। इनमें से एक 2001 में कोलकाता में (281) की पारी शामिल है। ईडन गार्डंस पर वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ की पारियां तो आपको याद ही होंगी। इस जोड़ी ने ऑस्ट्रेलिया से जीत छीन ली थी। इस पारी में लक्ष्मण और द्रविड़ (180) रन बनाए थे। भारतीय टीम फॉलोऑन कर रही थी लेकिन उसके बावजूद उसने स्टीव वॉ की कंगारू टीम का विजय रथ रोका था। चैपल ने क्रिकइंफो पर अपने कॉलम में लिखा, 'कोविड-19 महामारी के चलते किसी तरह का क्रिकेट नहीं हो रहा है। ऐसे में मैं खेल के उस हिस्से पर विचार कर सकता हूं जो मुझे काफी पसंद है: टॉप क्लास स्पिन बोलिंग के खिलाफ बल्लेबाज द्वारा अपने कदमों का इस्तेमाल करना। दो पारियां जो मेरे दिमाग में आती हैं, एक भारत के वीवीएस लक्ष्मण की और दूसरी ऑस्ट्रेलिया के डग वॉल्टर्स की।' लक्ष्मण और द्रविड़ ने 376 रनों की साझेदारी की भारतीय क्रिकेट की दशा बदलने वाली जीत दिलाई। चैपल लक्ष्मण की कलाइयों के मुरीद हो गए थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह उन्होंने शेन वॉर्न के सामने बल्लेबाजी की वह कमाल था। चैपल ने लिखा, 'लक्ष्मण की शानदार 281 रन की पारी को मैं स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ खेली गई बेस्ट पारी कहूंगा। सीरीज से बाद मैंने शेन वॉर्न से पूछा था कि उन्हें क्या लगता है, उन्होंने कैसी बोलिंग की।।' वॉर्न ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि मैंने इतनी खराब गेंदबाजी की। मैंने कहा, ''बिलुकल तुमने नहीं की।'' मैंने वॉर्न से कहा, 'अगर लक्ष्मण तीन कदम आगे निकलकर तुम्हें स्पिन के खिलाफ ऑन ड्राइव लगाए और अगली गेंद तुम ऊंची और थोड़ी छोटी फेंको और वह पीछे जाकर तुम कट कर दे तो यह खराब गेंदबाजी नहीं है, यह लाजवाब फुटवर्क है।' चैपल ने कहा, 'लक्ष्मण ने 452 गेंद तक लगातार ऐसा किया। उन्होंने अपनी पारी में 44 चौके लगाए। इसमें लक्ष्मण की पारी की कामयाबी का राज छुपा है। उन्होंने गेंद को लगातार जमीन के साथ ही खेला।' ऑस्ट्रेलिया के वॉल्टर्स को याद करते हुए चैपल ने कहा, 'वॉल्टर्स ने एक सेशन में तीन बार सेंचुरी लगाई। इसका कोई पूरा रेकॉर्ड तो नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि सिर्फ सर डॉन ब्रैडमैन ने इससे ज्यादा बार ऐसा किया है।' चैपल ने कहा, 'मैंने जितने खिलाड़ियों को देखा है उनमें वॉल्टर्स ऑफ स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ सबसे शानदार बल्लेबाज थे। वह शानदार स्पिन गेंदबाजी के सामने सिर्फ टिके ही नहीं रहे बल्कि कई बार उन पर 21 भी साबित हुए। उन्होंने 1969 में मद्रास (अब चेन्नै) में चतुर ऑफ-स्पिनर इरापल्ली प्रसन्ना को जमकर खेला। इस दौरान उन्होंने 14 चौके और दो छक्के लगाए।
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