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विराट कोहली: ऐसा कप्तान जो हर हाल में जीतना चाहता है, उन्हें यूं ही नहीं कहते 'रिकॉर्ड मशीन'
नई दिल्ली भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान टीम को हर हाल में जीत दिलाने के लिए प्रयासरत रहे जिसमें हार का जोखिम उठाना और पांच गेंदबाजों को खिलाना शामिल रहा। ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला के बीच में 2014 में एम एस धोनी से टेस्ट कप्तानी की जिम्मेदारी संभालने वाले कोहली ने पांच दिवसीय प्रारूप में भारत के खेलने का तरीका बदल दिया। एडीलेड टेस्ट में चोटिल धोनी की जगह भरते हुए कोहली ने एक बार भी ड्रॉ के बारे में नहीं सोचा जबकि पांचवें दिन भारत को 98 ओवर में जीत के लिए 364 रन की दरकार थी। उनके आक्रामक रवैये का असर पूरी टीम पर हुआ जो जीत के करीब पहुंचकर मैच 48 रन से हार गयी। इस हार ने उनके कप्तान के तौर पर सात साल के कार्यकाल में विदेशों में कई यादगार जीत के बीज बो दिए थे। कोहली ने इस हार के बाद कहा था, 'हमने किसी भी समय स्कोर का पीछा करने के बारे में नहीं सोचा था। हम यहां सकारात्मक क्रिकेट खेलने आए हैं। इस ग्रुप में किसी भी नकारात्मकता की जरूरत नहीं है। हम इसी विश्वास के साथ यहां आए हैं।’ उन्होंने कहा, 'यह पिछले दो-तीन वर्षों में विदेश में हमारे मजबूत प्रदर्शन में से एक था और जिस तरह से खिलाड़ियों ने यह मैच खेला, मुझे उन पर गर्व है।’ पिछली भारतीय टीमों के साथ ‘घर पर शेर और विदेशों में कमजोर’ का ‘टैग’ जुड़ा हुआ था लेकिन कोहली ने सुनिश्चित किया कि भारत हर तरह की परिस्थितियों में दबदबा बनाने वाली टीम बने। पहले विदेशों में टेस्ट में जीत बहुत बड़ी चीज मानी जाती थी लेकिन उन्होंने शनिवार को कप्तानी छोड़कर क्रिकेट की दुनिया को हैरान कर दिया तो उनकी समृद्ध विरासत में टीम की वो मानसिकता शामिल है जो श्रृंखला में जीत से कम के बारे में नहीं सोचती। कोहली को विदेशों में नियमित रूप से टेस्ट मैचों में जीत दिलाने में तेज गेंदबाजों की भूमिका अहम रही। मोहम्मद शमी, इशांत शर्मा, उमेश यादव और जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाज उनके नेतृत्व में बेहतर हुए और भारत के सर्वकालिक गेंदबाजी आक्रमण में तब्दील हो गए। पूर्व मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने बताया कि इस चैम्पियन बल्लेबाज ने सभी प्रारूपों में भारत की सफलता में किस तरह योगदान दिया। प्रसाद ने कहा, 'पहली बात तो मुझे लगता है कि उन्होंने टीम में जीत की संस्कृति बनायी, विशेषकर विदेशों में जीत की। उन्होंने पांच गेंदबाजों की ‘थ्योरी’ और फिटनेस संस्कृति शुरू की।’ प्रसाद को लगता है कि अभी उनके अंदर तीन-चार साल की कप्तानी बची थी। उन्होंने कहा, 'वह टीम में आक्रामकता लेकर आए। कोहली और बाकी अन्य ने मिलकर तेज गेंदबाजों की ‘बेंच स्ट्रेंथ’ तैयार की जिससे विदेशों में 20 विकेट चटकाने में हमारी मदद की।’ कोहली ने सभी तरह की परिस्थितियों के लिए मजबूत तेज गेंदबाजी आक्रमण तैयार किया लेकिन ‘एक्स फैक्टर’ की कमी थी जिसे अंत में जसप्रीत बुमराह ने पूरा किया। बुमराह चार साल पहले दक्षिण अफ्रीका में अपने टेस्ट पदार्पण के बाद अब दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से एक में शामिल हो गए हैं। प्रसाद ने याद किया, 'मुझे अब भी याद है जब 2017 में हमने बुमराह को विदेश में श्रृंखला के लिए तैयार करने का फैसला किया था। हमने सीमित ओवर के क्रिकेट से उसे आराम दिया और उसे ध्यान लाल गेंद के क्रिकेट पर लगाने के लिए कहा। उसने उस साल रणजी सेमीफाइनल में छह विकेट झटके थे। इसी ने विराट और हम सभी को भरोसा दिला दिया कि वह टेस्ट क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर सकता था।’ वहीं रोहित शर्मा से पारी का आगाज करने का फैसला ‘मास्टरस्ट्रोक’ साबित हुआ। हालांकि रोहित को उसका टेस्ट करियर फिर से शुरू करने के लिए शीर्ष क्रम में भेजने का सुझाव मुख्य कोच रवि शास्त्री द्वारा दिया गया था लेकिन कोहली ने इसका पूरी तरह समर्थन किया। इससे रोहित का टेस्ट करियर ही नहीं सुधरा बल्कि टीम को ऐसा ‘स्ट्रोक’ लगाने वाला खिलाड़ी भी दिया जिसकी टीम शीर्ष क्रम पर तलाश कर रही थी। कोहली चाहते थे कि उनके गेंदबाज 20 विकेट झटके और उनके बल्लेबाज विकेट बचाने के लिए नहीं खेलें बल्कि रन जुटाए। गेंदबाजों ने इस वादे को अक्सर पूरा किया है लेकिन बल्लेबाजी पर काम अब भी चल रहा है जिसमें कई बार स्टार सुसज्जित बल्लेबाजी क्रम कई मौकों पर विदेशों में चरमरा जाता है जो हाल में दक्षिण अफ्रीका में हुआ। पूर्व भारतीय कप्तान और मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने अंडर-16 स्तर से कोहली के करियर पर निगाह रखते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्हें बड़ा ब्रेक दिया था। उन्हें लगता है कि कप्तान के तौर पर कोहली के बेहतरीन रिकॉर्ड की बराबरी करना मुश्किल होगा। वेंगसकर ने कहा, '68 टेस्ट में से 40 जीत। यह रिकॉर्ड उनकी कप्तानी को बयां करता है। खेल के प्रति उनका सकारात्मक रवैया। वह हमेशा पांच गेंदबाजों को खिलाना चाहते थे जो कभी कभार उलटा भी पड़ता था लेकिन वह इसी तरह से खेलता। अंत में टीम ने इसी रवैए से इतने सारे मैच जीते।’ इन ऐतिहासिक सफलताओं के चढ़ाव के साथ कोहली ने कई उतार भी दखे। उन्होंने इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में टीम को टेस्ट जीत दिलायीं, इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला जीती लेकिन वह दो साल के चक्र में आईसीसी विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप ट्राफी हासिल करने में विफल रहे। भारत ने सीमित आवेर के क्रिकेट में नयी ऊंचाइयां छुईं और 2018-19 में पहली बार ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला जीती। प्रसाद ने कहा, 'सभी प्रारूपों में उनकी सफलता शानदार है। हम खेल के सभी प्रारूपों में नंबर एक थे। हमने सीमित ओवरों के क्रिकेट में प्रत्येक टीम को उनकी सरजमीं पर हराया।’ प्रसाद ने कहा, 'हालांकि एक उतार भरा पल निश्चित रूप से 2018 में दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में श्रृंखला जीत नहीं पाना होगा। दोनों श्रृंखला काफी करीब थीं लेकिन हम जीत नहीं सके।’
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