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ड्यू फैक्टर ने बिगाड़ दिए सारे समीकरण, अब टीम इंडिया कैसे निपटेगी इस बला से
नई दिल्ली भारत और पाकिस्तान के बीच 24 अक्टूबर को टी-20 वर्ल्ड कप () का मुकाबला खेला गया। इस मैच में भारत को करारी हार का सामना करना पड़ा था। भारतीय टीम पाकिस्तान का एक भी विकेट चटका नहीं पाई थी। अब भारत का अगला मुकाबला न्यूजीलैंड से होने जा रहा है। लेकिन उससे पहले हमें एक बेहद अहम फैक्टर पर बात करनी होगी। दुबई में टीमों को सबसे ज्यादा परेशानी ओंस के कारण हो रही है। ये सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि टॉस हारने वाली हर टीम को परेशान कर रही है। तैयारी में जुटी टीम इंडियाभारतीय टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ महत्वपूर्ण मुकाबले से पहले ओस से निपटने के लिए फुल प्लान के साथ तैयारी में जुटी हुई है। रविवार को मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में विराट कोहली ने जोर देकर कहा था कि पाकिस्तान ने भारत को जरूर हराया, लेकिन अगर भारतीय गेंदबाज पाकिस्तान का एक भी विकेट नहीं ले पाए तो उसके पीछे ओंस भी एक प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा था कि ओंस (DEW Factor) जैसे छोटे कारकों से बड़ा फर्क पड़ता है। विराट ने भी किया था जिक्रविराट कोहली ने कहा कि उन्होंने हमें मात दी लेकिन ऐसी परिस्थितियों में आपको टॉस जीतना होगा। कोहली ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन मौजूदा टी20 विश्व कप में ओस वास्तव में एक प्रमुख चर्चा का विषय बन गया है। एक मैच को छोड़ दें जहां अफगानिस्तान ने स्कॉटलैंड को हराया था अब तक (बुधवार को इंग्लैंड-बांग्लादेश खेल तक) इस आयोजन में किसी भी टीम ने पहले बल्लेबाजी नहीं की है। 2014 वर्ल्ड कप बांग्लादेश में ओस थी बड़ी परेशानीऐसा पहली बार नहीं है कि ओस कारक (India-Pakistan DEW Factor) के बारे में बात की गई है। 2014 टी-20 वर्ल्ड कप बांग्लादेश में खेला गया था। उस वक्त भी खिलाड़ी बेहद परेशान थे। इससे निपटने के लिए टीमें अभ्यास सत्र के दौरान पानी से भरी बाल्टी में गेंदें डुबो रही थीं। आईसीसी ने बांग्लादेश में आउटफील्ड पर स्प्रे करने के लिए भारत से एक विशेष ओस रोधी (Special Anti Dew Gel) जेल आयात किया था। अब बात इस मैदान पर क्रिकेटर अपना कैसा प्रदर्शन करता है क्योंकि क्रिकेट साल भर का खेल है और कभी न कभी आपको ओस का सामना करना पड़ेगा और आप इससे बच नहीं सकते। भारतीय टीम NSA में कर रही है गीली गेंद से प्रैक्टिसहमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने टीम इंडिया के खिलाड़ियों के साथ काम करने वाले लोगों से बात करके इसकी जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया। TOI ने पाया कि ड्यू फैक्टर का मुकाबला करना बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) में पाठ्यक्रम का एक हिस्सा बन गया है और भारतीय टीम इसकी रुटीन में प्रैक्टिस करती है। प्रैक्टिस के दौरान बॉल को गीली करने के पीछे मकसद ये है कि खिलाड़ी गीली गेंद पकड़ने के आदी हो जाएं। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि गेंदबाज को वही फील आए तो ओस वाली गेंद पकड़ने के दौरान आता है मगर उनके लिए ये बिल्कुल नया या आश्चर्य वाली बात नहीं होगी। ज्यादा देर तक भिगा नहीं सकते लेदर की बॉलआप लेदर की बॉल को ज्यादा देर तक भिगा भी नहीं सकते। क्योंकि अगर लेदर की बॉल को आपने पानी में ज्यादा देर तक भिगो दिया तो ये अपना नेचुरलटी खो देगी। ओस वाली गेंद को काफी गीला होना चाहिए और नम और फिसलन भरा होना चाहिए। गेंद को मॉइस्चराइज़ करने के लिए कुछ चीजों का उपयोग किया जा सकता है। ये आम राय है कि फुल लेंथ वाली गेंदें गेंदबाजी करना सबसे कठिन हो जाता है। यॉर्कर के गलत होने की सबसे अधिक संभावना है। यह प्रभावी रूप से किसी भी तेज गेंदबाज का सबसे बड़ा हथियार है। भारतीय गेंदों की गेंदबाजीजसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी को हार्ड लेंथ मारने के लिए जाना जाता है। भुवनेश्वर कुमार और शार्दुल ठाकुर स्विंग और धीमी गेंद पर भरोसा करते हैं। कोहली ने जोर देकर कहा कि उनकी टीम को पता है कि चीजें कहां गलत हुईं और सप्ताह भर के ब्रेक से उनकी टीम को मुद्दों का समाधान करने में मदद मिलेगी। यह लगभग तय है कि सप्ताह का अधिकांश समय अभ्यास में ओस करने में व्यतीत होगा।
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