'जडेजा बीते एक दशक के सर्वश्रेष्ठ भारतीय फील्डर'

प्रसाद आरएस, चेन्नै ऋद्धिमान साहा ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के दौरान शानदार प्रदर्शन किया। इससे टीम इंडिया के फील्डिंग कोच आर.श्रीधर काफी खुश हैं। साहा ने चोट के बाद वापसी की और अपने खेल से सबी को प्रभावित किया। 49 वर्षीय श्रीधर ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत की। उन्होंने साहा और के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे जडेजा विपक्षी टीम पर दबाव डालते हैं। आप भारत और साउथ अफ्रीका की सीरीज को कैसे देखते हैं? हमने खेल के हर पहलु में शानदार प्रदर्शन किया। पुणे में सीरीज जीतने के बाद भी तीसरे टेस्ट में हमारे जुझारूपन में कोई कमी नहीं आई। हमने 3-0 से सीरीज जीतने में पूरी जान लगा दी और आखिर में हमें इसमें कामयाबी मिली। क्या आप इस बात को लेकर संशय में थे कि क्या साहा अपने शीर्ष प्रदर्शन को हासिल कर पाएंगे?नहीं, इस बात को लेकर कोई संशय नहीं था। उन्होंने वेस्ट इंडीज सीरीज के दौरान बहुत आसानी से इंटरनैशनल क्रिकेट में वापसी की। इससे पहले उन्होंने भारत 'ए' के लिए भी कुछ मुकाबले खेले थे। और एक बार जब हम भारत में खेलना शुरू किया तो हम साहा को प्लेइंग इलेवन में ले आए। वह हमारे सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर हैं और साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के दौरान हमें उनका हुनर देखने को मिला। हुनर के मामले में आप साहा और पंत को कैसे परखेंगे?इन दोनों की तुलना करना सही नहीं होगा। दोनों के अपनी स्ट्रैंथ है। एक युवा है और दूसरा अनुभवी। ऋषभ हमारा भविष्य है और साहा वर्तमान और दोनों शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय फील्डिंग की बात करें तो सारा ध्यान हमेशा रविंद्र जडेजा पर होता है। आखिर इस लाइनअप में उन्हें क्या इतना महत्वपूर्ण बनाता हैमैदान पर जड्डू की मौजूदगी टीम ही जोश भर देती है। अपनी फील्डिंग से वह विपक्षी टीम को हमेशा अलर्ट रखता है। वह मैदान पर हमेशा सतर्क रहते हैं। क्या वह सर्वकालिक, सर्वश्रेष्ठ भारतीय फील्डर हैं?मैं यह तो नहीं कहूंगा लेकिन बीते करीब एक दशक में तो जडेजा सर्वश्रेष्ठ भारतीय फील्डर तो हैं। जबसे आपने कमान संभाली फील्डिंग को लेकर टीम इंडिया के दृष्टिकोण में क्या बदलाव आया है? इसका कारण मैं नहीं हूं। मेरी राय में फील्डिंग को लेकर भारतीय टीम का नजरिया बीते कुछ वर्षों में बदला है। फाफ डु प्लेसिस ने साउथ अफ्रीका पर भारतीय फील्डिंग के प्रभुत्व की प्रशंसा की थी। वर्ल्ड कप के दौरान भी विपक्षी कप्तानों ने हमारी फील्डिंग की खूब तारीफ की थी। मुझे लगता है कि इस पर फोकस की शुरुआत कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली से होती है। उन दोनों की यही चाह है कि टीम इंडिया की फील्डिंग टॉप क्लास हो। यहां तक कि नए खिलाड़ी शाहबाज नदीम भी टीम के माहौल में जल्दी ढल गए और उन्होंने भी प्रभावी फील्डिंग की। भारतीय फील्डिंग में आप सबसे बड़ा बदलाव क्या देखते हैं?बदलाव दो क्षेत्रों में हुआ है- मानसिकता और फिटनेस। मानसिकता बदलकर टीम अपने लक्ष्य को हासिल कर सकती है और फिटनेस इस पूरी प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है। अब भी ऐसे कौन से क्षेत्र हैं जिन पर काम करने की जरूरत है?हमें ऐसे कुछ खिलाड़ियों की जरूरत है जो स्लिप में अछी फील्डिंग कर सकें। इस पर काम कर रहे हैं। अगले साल टी20 विश्व कप को ध्यान में रखते हैं कि गेंद का बाद में घूमना और मैदान में दूर से गेंद फेंकने पर भी हम काम कर रहे हैं। क्या आप फील्डिंग के लिए भी आईसीसी रैंकिंग सिस्टम चाहेंगे?बेशक, मैं काफी लंबे समय से इस बात की सिफारिश कर रहा हूं कि आईसीसी को फील्डिंग के लिए भी रैंकिंग लानी चाहिए। और साथ ही फील्डिंग के आंकड़ों में भी सिर्फ सबसे ज्यादा कैच तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। इसमें किस खिलाड़ी ने कितनी गेंद फील्ड कीं और कितने डायरेक्ट हिट लगाए जैसे नंबर भी होने चाहिए। भारतीय लाइन-अप में किस फील्डर ने सबसे ज्यादा प्रगति की है? यह एक मुश्किल सवाल है, हर किसी ने प्रगति की है। वर्ल्ड कप के दौरान मैंने कहा कि युजवेंद्र चहल ने सबसे ज्यादा प्रगति की है। बुमराह भी सुधार कर रहे हैं और ईशांत ने वेस्ट इंडीज में अपनी ही गेंद पर कुछ शानदार कैच पकड़े थे। आपके हिसाब से मौजूदा दौर के सर्वश्रेष्ठ फील्डर कौन से हैं?जडेजा, मार्टिन गप्टिल, विराट कोहली, ग्लेन मैक्सवेल- मेरे दिमाग में ये चार नाम आते हैं। इन खिलाड़ियों को इनफील्ड, आउटफील्ड कहीं भी लगाया जा सकता है। ये शानदार ऐथलीट हैं।


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