मेरी शुरुआत दूसरे खिलाड़ियों से कुछ अलग हुई: मयंक अग्रवाल

मनुजा वीरप्पा, बेंगलुरु भारत के टेस्ट ओपनर लंबे समय से टीम इंडिया की कैप पहनने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। वह घरेलू क्रिकेट में साल दर साल अपने प्रदर्शन से खुद को सोने सा खरा साबित कर रहे थे लेकिन यह इंतजार था, जो खत्म ही नहीं हो रहा था। 28 वर्षीय मयंक को जब (26 दिसंबर 2018, मेलबर्न टेस्ट) ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया की कैप पहनने का मौका मिला तो उन्होंने मुश्किलों से मिले इस अवसर को जाने नहीं दिया। कर्नाटक का यह बल्लेबाज तब से 9 टेस्ट खेल चुका है और इस दौरान उन्होंने 2 दोहरे शतक, एक शतक और तीन हाफ सेंचुरी अपने नाम की हैं। टेस्ट क्रिकेट में इस साल सबसे ज्यादा रन बनाने वाले वह छठे बल्लेबाज हैं। मयंक की कहानी उन युवा क्रिकेटरों के लिए एक मिसाल है, जो भारतीय टीम में खेलने का सपना देखते हैं। मयंक ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से अपने खेल के बारे खास बातचीत की। पेश हैं इस चर्चा के खास अंश... इस साल टेस्ट में सर्वाधिक रन बनाने वाले टॉप 10 बल्लेबाजों में शुमार यह सीखने का बहुत सही समय है। इस साल कई शानदार अनुभव रहे। ईमानदारी से कहूं तो जब मुझे टेस्ट टीम में मौका मिला और मैंने पहला मैच खेला, तो मैंने बिल्कुल भी नहीं सोचा की मुझे क्या खास करना चाहिए। मैंने बस इसे एक समय एक मैच की तरह ही लिया। मैं बस अपना सर नीचे रखता था तो हर बार अपने हर शॉट पर अपना बेस्ट देने की कोशिश करता था। टीम के लिए योगदान देकर अच्छा महसूस होता है। सबसे ज्यादा संतोषजनक यह है कि भारत दुनिया की नंबर 1 टेस्ट टीम है। कौन सी पारी खास- साउथ अफ्रीका के खिलाफ 215 या बांग्लादेश के खिलाफ 243: इस सवाल पर मयंक ने कहा, 'ईमानदारी से बताऊं तो मैं वह व्यक्ति नहीं हूं जो तुलना करे। दोनों पारियों की अपना महत्व है। जब मैंने अपना पहला दोहरा शतक बनाया तो यह स्वभाविकतौर पर खास होगा। इसके बाद अगली ही सीरीज में अगला दोहरा शतक आ जाना भी खास है। मेरे लिए यही तथ्य खास है कि जब मैं सेट हो जाता हूं तो मैं बड़ा स्कोर करता हूं और टीम की कामयाबी में योगदान देता हूं।' लंबे समय से आप घरेलू क्रिकेट खेल रहे थे क्या इससे मदद मिली? मैं समझता हूं और यही कहना चाहूंगा कि मेरी यह यात्रा कई दूसरे खिलाड़ियों से अलग रही है। मुझे यह पसंद है। हां मुझे बहुत ज्यादा घरेलू क्रिकेट खेलनी पड़ी, और इससे मुझे इंटरनैशनल लेवल पर मदद भी मिली। वे मैच (घरेलू क्रिकेट) खेलकर मुझे और बेहतर खिलाड़ी बनने में मदद मिली। सात टेस्ट में तीन अलग-अलग जोड़ीदारों के साथ ओपनिंग:ऐसा करते हुए आपको कोई अजस्टमेंट नहीं करनी होती क्योंकि आप वहां टॉप क्वॉलिटी वाली खिलाड़ियों के साथ खेल रहे होते हैं। आप अपना खेल समझते हैं और वे अपना, तो यह बहुत ज्यादा संवाद और आपसी मेलजोल की बात है। रोहित शर्मा बतौर ओपनिंग साझेदार: यह पहली बार था जब मैं उनके साथ ओपन कर रहा था। हमने बस अपनी योजनाओं के बारे में बात की, हमारे पास हर गेंदबाज को लेकर योजना थी। हमने बहुत ज्यादा नहीं सोचा, हमने बस बॉल दर बॉल वैसे ही लिया जैसे गेंदें आती गईं। यह बहुत शानदार अहसास है कि उनके साथ पहली ओपनिंग साझेदारी (विशाखापत्तनम टेस्ट में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 317 रन) में ही हमने बहुत बड़ी ओपनिंग साझेदारी बनाई। नॉन स्ट्राइक एंड पर खड़े होकर मैंने उन्हें खेलते हुए देख कर पूरा लुत्फ लिया और यह देखा कि कैसे वह स्पिनर्स पर अपनी धाक जमाते हैं। आप देख सकते हैं कि बोलर्स संघर्ष कर रहे थे। गेंदबाजों की अच्छी बॉल पर भी वह चौका और छक्का जड़ रहे थे और खराब गेंदों को तो सजा मिल ही रही थी।


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