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टीम इंडिया को चाहिए ऐसा बल्लेबाज जो बोलिंग में आजमा सके हाथ
अरानी बसु, नई दिल्ली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जारी वनडे सीरीज में टीम इंडिया की एक कमी साफ तौर पर निकलकर सामने आई है और वह है छठे गेंदबाज की कमी। सीरीज के पहले दो मैच में भारत की हार में गेंदबाजों विकल्प में कमी एक बड़ी वजह रहा। जब साल 2016 में पहली बार सामने आए तो लगा कि भारत का इंतजार खत्म हो गया। कपिल देव के बाद भारत को पहला तेज गेंदबाज ऑलराउंडर मिल गया। पंड्या के आने से टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों को भी राहत मिली। उन्हें भी अब लगातार अपने गेंदबाजी हुनर को मांजने की जरूरत नहीं थी। फिर पंड्या चोटिल हो गए। उनकी चोट से यह बात साफ हो गई कि भारत के पास छठा गेंदबाजी विकल्प नहीं है। अगर पांच नियमित गेंदबाजों में से किसी का भी दिन खराब है तो उसकी भरपाई करने के लिए टीम के पास कोई भी नहीं है। भारतीय टीम के पास अब सहवाग, युवराज, तेंडुलकर, गांगुली और रैना जैसे बल्लेबाज नहीं हैं जो जरूरत पड़ने पर गेंदबाजी भी कर सकें। टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों का गेंदबाजी न करना एक चिंता का विषय है। हाल के समय में बल्लेबाज नेट्स में भी गेंदबाजी करने से बचते हैं। टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर विजय दहिया, जो दिल्ली कैपिटल्स के लिए टैलंट स्काउट भी कर रहे हैं, का भी मानना है कि टीमों में बढ़ता सपॉर्ट स्टाफ इसका एक बड़ा कारण है। दिल्ली की स्टेट टीम और केकेआर के सहायक कोच रहे दहिया ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'आजकल राज्य और आईपीएल टीमों में तीन या चार कोच और थ्रो डाउन स्पैशलिस्ट होते हैं। तो टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों को लोअर ऑर्डर बल्लेबाजों को प्रैक्टिस करवाने के लिए गेंदबाजी करने की जरूरत नहीं पड़ती, जैसा कि 10-20 साल पहले होता था।' दहिया ने कहा, 'जब मैं दिल्ली का कोच था तो मैं यह आश्वस्त करता था कि ये टॉप ऑर्डर बल्लेबाज कम से कम 20 मिनट तक टेलऐंडर्स को गेंदबाजी करें। लेकिन यह अब पुरानी बात होती जा रही है। अब जब खिलाड़ियों को यहां मौका दिख रहा है तो वे गेंदबाजी को और गंभीरता से लेना शुरू कर देंगे।' ऐसा नहीं है कि भारतीय टीम मैनेजमेंट को इस परेशानी का अंदाजा नहीं था। रोहित शर्मा ऑफ स्पिन गेंदबाजी करते थे लेकिन उन्होंने कंधे और उंगली की चोट की वजह से छोड़ दी। श्रेयर अय्यर को पिछले साल लेग स्पिन गेंदबाज के विकल्प के तौर पर देखा गया था लेकिन उन्होंने इस पर ज्यादा काम नहीं किया। माना जाता है कि शुभमन गिल भी ठीक-ठाक बोलिंग कर लेते हैं लेकिन हाल के दिनों में वह भी ट्रेनिंग नहीं कर रहे हैं। टीम इंडिया के पूर्व मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने कहा, 'यही वजह थी कि पिछली सिलेक्शन समिति विजय शंकर और शिवम दूबे को तैयार करना चाहती थी, जो टॉप 5 में बल्लेबाजी कर सकें और कुछ ओवर भी फेंक सके। उन्हें अपनी गेंदबाजी पर काम करने के लिए कहा गया थआ। लेकिन दुबे ने अपनी गेंदबाजी को ज्यादा इम्प्रूव नहीं किया और शंकर गेंदबाजी की वजह से फिटनेस की समस्या से जूझ रहे हैं।' दहिया की तरह प्रसाद भी मानते हैं कि इस सीरीज के बाद अधिक बल्लेबाज अपनी बोलिंग पर काम करना शुरू कर देंगे और भारत के पास जल्द ही अधिक विकल्प होंगे। यह उसी तरह का दौर है जब कई विकेटकीपर बल्लेबाज टीम में जगह बनाने में लगे थे। जैसे, रॉबिन उथप्पा, अंबाती रायुडू और यहां तक कि केदार जाधव भी। पूर्व विकेटकीपर दीप दासगुप्ता पूछते हैं, 'क्या इनमें से कोई भी असल में कामयाब हुआ और अगले स्तर तक पहुंचा। सिर्फ केएल राहुल जो गंभीर थे और विकेटकीपिंग के साथ लगे रहे ही वहां तक पहुंचे। तो फिर चाहे छठा या सातवां बोलर हो आपको इसके लिए गंभीरता दिखानी होगी।' दासगुप्ता ने कहा, 'इसका हल यही है कि टॉप ऑर्डर के इन बल्लेबाजों को अधिक से अधिक गेंदबाजी के लिए प्रोत्साहित किया जाए। ठीक वैसा ही जैसा पहले राज्यों की टीम में होता था। तब आप किसी खिलाड़ी को उसकी प्रतिभा के आधार पर चुनें लेकिन आपको यहां भी सावधान रहना होगा कि आप सिर्फ गेंदबाजी देखकर ही कोई फैसला न लें और उसके मुख्य काम यानी बल्लेबाजी को नजरअंदाज कर दें।' भारतीय टीम प्रबंधन इस मामले में खुशकिस्मत है कि टी20 वर्ल्ड कप को एक साल आगे बढ़ा दिया गया है। पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता देवांग गांधी का मानना है कि यह सही वक्त है कि हार्दिक पंड्या पर बल्लेबाज के रूप में अधिक जिम्मेदारी डाली जाए और एक अन्य बैकअप ऑलराउंडर तलाशा जाए। गांधी ने कहा, 'हार्दिक पंड्या को बल्लेबाजी क्रम में ऊपर भेजने और नंबर छह पर एक अन्य बैकअप ऑलराउंडर के लिए जगह बनाने का विचार भी बुरा नहीं है। केदार जाधव को इसी वजह से अंबाती रायुडू पर तरजीह दी गई क्योंकि वह कुछ ओवर गेंदबाजी भी कर सकते हैं। आपको एक नियमित टॉप ऑर्डर बल्लेबाज गंवाना पड़ सकता है लेकिन इससे आपको भविष्य में हार्दिक का विकल्प तराशने में आसानी होगी।' वाइट बॉल क्रिकेट में टीम इंडिया के लिए परेशानियों का सिलसिला जारी है। सालभर पहले टीम इंडिया नंबर चार की तलाश थी। और अब के सामने यह नई परेशानी है।
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